Monday, December 8, 2008
प्यारी माँ
प्यारी माँ तू कैसी है क्या मुझको याद करती है तूने पूछा था कैसा हूँ मै मै अच्छा हूँतेरी ही सोच के जैसा हूँयंहा सब सो गए हैं मै अकेला बैठा हूँसोचता हूँ क्या करती होगी तू काम करते करते बालों का जूडा बनाती होगी या फिर बिखरे समानो को समेटती होगी पर माँ अब समान फैलाता होगा कौन मै तो यंहा बैठा हूँ मौन सुनो माँ तुमने सिखाया था सच बोलो सदा आज जो सच बोला तो क्लास के बाहर खड़ा थातुमने ने जैसा कहा है वैसा ही करता हूँ ख़ुद से पहले ध्यान दुसरों का रखता हूँ पर देखो न माँ सब से पीछे रह गया हूँ सब कुछ आता है मुझको फ़िर भी टीचर की निगाह से गिर गया हूँ किसी पे हाथ न उठाना तुम ने कहा था पर जानती हो माँ आजउन्होंने बहुत मारा है मुझे जवाब मै भी दे सकता था पर मारना तो बुरी बात है न माँ यंहा सभी मुझे बुजदिल समझते हैं मै कमजोर नही हूँमै तो तेरा बहादुर बेटा हूँ हूँ न माँअब तुम ही कहो क्या मै कुछ ग़लत कर रहा हूँ तेरा कहा ही तो कर रहा हूँ तू तो ग़लत हो सकती नही फिर सब कुछ क्यों ग़लत हो रहा है बताओ न माँ क्या इनको ये बातें मालूम नही माँ एक बार यहां आओ न जो कुछ मुझे बताया इन्हे भी समझाओ न एक बात बताओ क्या आज भी तू कहेगी कि तुझे मुझपे गर्व है माँ बोलो न क्या मै तेरी सोच के जैसा हूँ और तेरा राजा बेटा हूं!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment